समता सैनिक दल परिचय, उद्देश्य और कार्यक्रम

डॉ० भीमराव आंबेडकर द्वारा स्थापित “अखिल भारतीय समता सैनिक दल” या “समता सैनिक दल” की अम्बेडकरी आन्दोलन में एक अहम भूमिका रही है|डॉ० भीमराव आंबेडकर द्वारा समय-समय पर विभिन्न राजनैतिक संगठनों (डिप्रेस्ड क्लास फेडरेशन, स्वतंत्र मजदूर पार्टी, शेड्यूल कास्ट फेडरेशन और रिपब्लिकन पार्टी ) की रचना की गयी|इशी के साथ-साथ उन्होंने मूकनायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत जैसे पांच समाचार पत्रों का प्रकाशन प्रारंभ किया|जिसका मुख्य उद्देश्य दालितों एवं असहायों की मदद कारना और उनकी स्थिति में सुधर लाना था|

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समता सैनिक दल का संक्षिप्त इतिहास एवं स्थापना

डॉ० भीमराव आंबेडकर ने जब अछूतोद्धार आन्दोलन शुरू किया|तब इस दौरान मुंबई विधान सभा मंडल में कई अछूत प्रतिनिधियों को चुना गया|जिनका प्रमुख उद्देश्य दलितों की समस्याओं को विधान मंडल में पेश करना|जिसके बाद 4 अगस्त 1923 को मुंबई विधान सभा द्वारा अछूत वर्ग के लिए सभी सार्वजानिक जलस्रोतों, नदी कुओं से पानी भरने, धर्मशाला, शिक्षणसंस्थान, न्यायलयों में मुफ्त प्रवेश मिलने, अस्पताल और सरकारी दफ्तरों में बेरोक-टोक प्रवेश मिलने का एक क्रन्तिकारी प्रस्ताव पारित कर दिया|

20 जुलाई 1924 को मुंबई में अम्बेडकर जी ने बहिष्कृत हितकरणी सभा की स्थापना की|जिसने अछूतों में जनजागृति फ़ैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई|बहिष्कृत हितकारिणी सभा द्वारा सर्वप्रथम शिक्षा की ओरविशेष ध्यान दिया गया|इस सभा ने दलित वर्ग से सम्बंधित छात्रों के लिए ४ जनवरी1925 को सोलापुर में एक छात्रावास शुरू किया|

समता सैनिक दल का प्रतीक चिन्ह
समता सैनिक दल का प्रतीक चिन्ह

बहिष्कृत परिषद् का प्रथम अधिवेशन 19 तथा 20 मार्च 1927 को कुलाबा जिला के महाड़ में आयोजित किया गया|इस परिषद् का मुख्य उद्देश्य महाड़ सत्याग्रह के माध्यम से अछूतों में जनजाग्रति पैदा कारना था|अछूतोद्धार आन्दोलन के समय से अभी तक के कार्यक्रमों को असफल बनाने के लिए धर्मान्ध लोगों द्वारा किये गए प्रयत्नों से वे अच्छी तरह से परिचित थे|आतः इस स्थिति से निपटने के अम्बेडकर जी ने अपने वर्ग के सैकड़ो मिलिटरी के सेवानिवृत्त सैनिकों को बुलाया|

समता सैनिक दल की स्थापना

इसके बाद महाड़ आन्दोलन से पांच दिवस पूर्व, 13 मार्च 1927 को मुंबई में अम्बेडकर एवं सूबेदार सवादकर की सहायता से ‘समता सैनिक दल’ की स्थापना की गयी|प्रारंभ में इस दल में अधिकतर सेवानिवृत्त सैनिक ही थे|

इसके बाद 25, 26 तथा 27 दिसम्बर 1927 को महाड़ में पुनः सत्याग्रह का आयोजन किया गया|मार्च 1927 की परिषद् में हिन्दुओं द्वारा अछूतों पर किये गए अत्याचारको ध्यान में रखते हुए इस परिसद की व्यवस्था के मुंबई से 50 समता सैनिकों को बुलाया गया|27 दिसम्बर 1927 को अछूतों द्वारा महाड़ शहर में जा जुलूस निकला गया था, उस समय गाँव के सभी सवर्ण नेता गाँव छोड़कर भाग चुके थे|इस समय तक समता सैनिक दल के सैनिक सवर्णों में अपनी धाक जमा चुके थे|

कालाराम मंदिर प्रवेश सत्याग्रह नाशिक

3 मार्च 1930 को नाशिक के कालाराम मंदिर प्रवेश सत्याग्रह में अम्बेडकर की अध्यक्षता में सैकड़ों महिला तथा पुरुषों ने कालाराम मंदिर के दरवाजे के सामने धरना दिया था|यह सत्याग्रह कई वर्षों तक चलता रहा|इस इतने लम्बे समय तक चलाने का श्रेय समता सैनिक दल को जाता है|

समता सैनिक दल का मुख्य कार्य

समता सैनिकदल का मुख्य कार्य डिप्रेस्ड क्लास मिशन, स्वतंत्र मजदूर पार्टी, शेड्यूल कॉस्ट फेडरेशन द्वारा आयोजित सभा-सम्मेलनों, जलसों आदि की अनुशासनबध्द व्यवस्था करना, अछूत समाज के युवकों में अनुशासन निर्माण करना, अछूत वर्गपर हो रहे अन्याय-अत्याचार की जाँच करना इत्यादि कार्य था| जहाँ-जहाँ डिप्रेस्ड क्लास मिशन, स्वतंत्र मजदूर पार्टी, स्वतंत्र मजदूर पार्टी की शाखाएँ होती थी वहाँ-वहाँ सहायक संस्था के रूप में समता सैनिक दल की भी शाखाएँ होती थी|

समता सैनिक दल के स्वयंसेवक वर्दी पहन कर लाठी व शीटी से लैस होकर सभाओं व जलसों की व्यवस्था करते थे ताकिकोई गुंडे बदमाश किसी प्रकार की गड़बड़ी पैदा ना कर पाएं और अम्बेडकर की जान को कोई भी खतरा ना हो|वे लाठी से रक्षा की कला में निपुण रहते थे|इसके अतिरिक्त भीड़ को नियंत्रित कारना, अनुशासन बनाए रखना तथा प्रथमोंचार आदि दल का मुख्य कार्य था|इनके जलसों या सभाओं में व्यवस्था के लिए पुलिस की जरूरत नहीं पड़ती थी|

1937 का आम चुनाव

सन 1936 में जब डॉ० भीमराव अम्बेडकर यूरोप के दौरे पर गए तो, समता सैनिक दल के सैनिकों को सलामी का जवाब देते समय उन्होंने दल को धर्म परिवर्तन के कार्य को चलाये रखने और 1937 में होने वाले चुनाव में लोगों को अपना वोट देने के अधिकार के बारे में जागृत करने का आदेश दिया|समता सैनिक दल के सैनिकों ने इस कार्य को बहुत बखुबी निभाया|

दल के सैनिकों ने 1937 के चुनाव में लोगों को चुनाव का महत्त्व ही नहीं समझाया बल्कि उन्हें अपने घरों से निकलकर अपने उम्मीदवारों को वोट डालने के लिए प्रेरित किया|समता सैनिक दल के सैनिकों के कारण ही मुंबई में स्वतंत्र मजदूर पार्टी के 17 उम्मीदवारों में से 13 उम्मीदवारों को सफलता मिली|

समता सैनिक दल का अधिवेशन

समता सैनिक दल का प्रथम अधिवेशन नागपुर के मोहन पार्क में 20 जुलाई 1942 को पुंजाब के नेता सरदार गोपाल सिंह, एम०बी०ई०, एम०एल०ए० इनकी अध्यक्षता तथा भीमराव अम्बेडकर की उपस्थिति में संपन्न हुआ था|

समता सैनिक दल का दूसरा अधिवेशन 30 जनवरी 1944 को माननीय गायकवाड तथा भीमराव अम्बेडकर की प्रमुख उपस्थिति में कानपुर में संपन्न हुआ था|

समता सैनिक दल का तीसरा अधिवेशन 6 मई1945 को नरे पार्क, जि०आय०पी० रेलवे वर्कशॉप के सामने, परेल मुंबई में हुआ था|

इसके बाद समता सैनिक दल का चौथा अधिवेशन भीमराव अम्बेडकर के परिनिर्वाण के बाद 4 अक्टूबर 1957 को दीक्षा भूमि, नागपुर में कर्मवीर हरिदास आवले बाबू की अध्यक्षता में सपन्न हुआ|

समता सैनिक दल में महिलओं का योगदान

20 सितम्बर 1944 को भीमराव अम्बेडकर ने हैदराबाद के जीरा मैदान की सभा में स्त्रियों को संबोधित करते हुए अपने भाषण में कहा,‘ आज की सभा में महिलाओं का उत्साह देखकर मुझे विशेष खुशी हो रही है|यहाँ की महिलाऐं अच्छा भाषण दे सकती हैं और एक क्रांति फैला सकती हैं|समता सैनिक दल की शाखा स्थापित करके स्त्रियों ने भी उसमें बड़ी संख्या में भाग लिया है, इसलिए काफी समाधान हो रहा है| आज के अवसर पर महिलाओं को मुझे जो सन्देश देना है, वह यह है की महिलाओंं को भी पुरुषों के साथ सार्वजनिक जीवन में आना चाहिए|’

इस प्रकार समता सैनिक दल ने महिलाओं को उन्नति के मार्ग पर लाकर खड़ा कर दिया|जिससे महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार होने लगा|

समता सैनिक दल का संविधान

समता सैनिक दल के द्वितीय अधिवेशन 30 जनवरी 1944 को कानपुर में संपन्न अधिवेशन में समता सैनिक दल का अखिल भारतीय स्तर का संविधान बनाने के लिए ‘संविधान समिति’ बनाई गई थी|इस समिति द्वारा ड्राफ्ट बनाने के बाद भीमराव अम्बेडकर की ओर बेजा|भीमराव अम्बेडकर ने जाँच करने के बाद इसे अंतिम रूप दिया|

समता सैनिक दल के संविधान के प्रथम उद्देश्य में, “वंश, धर्म, जाति, लिंग, या वर्ग पर आधारित सभी प्रकार की विषमताओं को नष्ट करने के लिए प्रयत्न करना तथा स्वतंत्रता एवं समानता पर आधारित नये समाज की रचना करने के लिए अछूत समाज के सभी लोगों का एकत्रीकरण” ऐसा दिया गया है|

इस देश में अधिकांशतः सामाजिक संगठन अपने-अपने धर्म या जाति की रक्षा करने के लिए बनाये जाते है|उस समय सवर्णों द्वारा अछूतों को तरह-तरह की यातनाए दी जाती थी|यदि भीमराव अम्बेडकर चाहते तो वे केवल अछूत समाज के लिए ही कार्य कर सकते थे|किन्तु सच्चे देश भक्त होने के कारण उन्हें अछूतों से ज्यादा देश की चिंता थी|

समता सैनिक दल के उद्देश्य पढने से हमे पता चलता है की भीमराव अम्बेडकर समता सैनिक दल के माध्यम से वंश, धर्म, जाति, लिंग, या वर्ग पर आधारित सभी प्रकार की विषमताओं को नष्ट करके स्वतंत्र, समानता, भाईचारा एवं न्यायपर आधारित समाज का नवनिर्माण कारना चाहते थे|

समता सैनिक दल पर पाबन्दी

समता सैनिक दल प्रगतिपथ पररहते हुए अचानक इस पर बंदी लगा दी गयी|30 जनवरी 1948 को महात्मा गाँधी की हत्या की गयी|इस बारे में सरकार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ होने की जानकारी मिली|इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर पाबन्दी लगाने के लिए इसके समान सभी स्वयंसेवी संघ संस्थाओं पर पाबन्दी लगाने का सरकार द्वारा निर्णय लिया गया|अतः समता सैनिक दल पर भी पाबन्दी लग गयी और इसके सभी प्रभावी सैनिकों को जेल में डाल दिया गया|

इस एक- दो वर्षों की कालावधी मई दल के कार्य में शिथिलता आई, परन्तु दल की बंदी उठते ही इसका कार्य जोश तथा जोरों से शुरू हुआ और संगठनात्मक तथा विस्तार की दृष्टी से कार्य किया गया|

डॉ० भीमराव अम्बेडकर के पश्चात् समता सैनिक दल

भीमराव अम्बेडकर के जीवित रहने तक अछूतों को निस्वार्थ नेतृत्व प्राप्त हुआ|इसलिए सम्पूर्ण अछूत समाज भीमराव अम्बेडकर पर विश्वास रखकर एकसंघ बना रहा|6 दिसम्बर 1956 को भीमराव अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण हुआ|इनके मृत्यु के अगले वर्ष अक्टूबर 1957 में दीक्षा भूमि, नागपुर में ‘रिपब्लिकन पार्टी’ की स्थापना करके भीमराव अम्बेडकर के सपने को साकार रूप दिया गया|परन्तु इन नेताओं के पास ठोस नेतृत्व तथा निस्वार्थ भावना नहीं होने के कारण जल्द ही इनमें दरारे पड़ गयी और समता सैनिक दल जो कि रिपब्लिकन पार्टी का एक हिस्सा था, धीरे-धीरे बिखरता गया|

समता सैनिक दल से जुड़े प्रश्नों के उत्तर

  • समता सैनिक दल क्या है?

    समता सैनिक दल सेवानिवृत्त सैनिकों का एक दल था | जिसकी स्थापना भीमराव आम्बेडकर ने महाड़ आन्दोलन से पांच दिवस पूर्व, 13 मार्च 1927 को मुंबई में अम्बेडकर एवं सूबेदार सवादकर की सहायता से ‘समता सैनिक दल’ की स्थापना की थी |

  • समता सैनिक दल की स्थापना कब हुई थी?

    समता सैनिक दल की स्थापना महाड़ आन्दोलन से पांच दिवस पूर्व, 13 मार्च 1927 अम्बेडकर एवं सूबेदार सवादकर की सहायता से को मुंबई में की गयी |

  • समता सैनिक दल की स्थापना किसने की थी?

    समता सैनिक दल की स्थापना 13 मार्च 1927 को मुंबई में अम्बेडकर एवं सूबेदार सवादकर की सहायता से की गयी|

  • समता सैनिक दल के मुख्य कार्य क्या थे?

    समता सैनिकदल का मुख्य कार्य डिप्रेस्ड क्लास मिशन, स्वतंत्र मजदूर पार्टी, शेड्यूल कॉस्ट फेडरेशन द्वारा आयोजित सभा-सम्मेलनों, जलसों आदि की अनुशासनबध्द व्यवस्था करना तथा जलसों में अम्बेडकर की जान को कोई भी खतरा ना हो, अछूत समाज के युवकों में अनुशासन निर्माण करना, अछूत वर्गपर हो रहे अन्याय-अत्याचार की जाँच करना इत्यादि कार्य था|

  • समता सैनिक दल पर पाबन्दी क्यों लगी?

    समता सैनिक दल प्रगतिपथ पररहते हुए अचानक इस पर बंदी लगा दी गयी|30 जनवरी 1948 को महात्मा गाँधी की हत्या की गयी|इस बारे में सरकार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ होने की जानकारी मिली|इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर पाबन्दी लगाने के लिए इसके समान सभी स्वयंसेवी संघ संस्थाओं पर पाबन्दी लगाने का सरकार द्वारा निर्णय लिया गया|अतः समता सैनिक दल पर भी पाबन्दी लग गयी और इसके सभी प्रभावी सैनिकों को जेल में डाल दिया गया|

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