वेदांग क्या हैं एवं इनका विभाजन कालक्रम से वैदिक संस्कृत के स्थान पर लौकिक संस्कृत का प्रचलन होने पर, वैदिक मन्त्रों का उच्चारण करना तथा अर्थ समझना कठिन हो गया। यास्क ने कहा है कि वैदिक अर्थों को समझने में कठिनाई का अनुभव करने वाले लोगों ने निरुक्त तथा अन्य वेदांग की रचना की। वेदों के छ: अंग माने गए – इन्हें समझने वाला व्यक्ति ही वेदों का सही उच्चारण, अर्थबोध एवं यज्ञ कार्य कर सकता था। इन सभी शास्त्रों के ग्रन्थ लौकिक संस्कृत में लिखे गए, क्योंकि इनके विकास…
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ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख नदियाँ एवं उनके आधुनिक नाम
ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख नदियाँ एवं उनके आधुनिक नाम क्रुमु (कुरुम),गोमती (गोमल), कुभा (काबुल) और सुवास्तु (स्वात) नामक नदियां पश्चिम किनारे में सिन्धु की सहायक नदी थीं। पूर्वी किनारे पर सिन्धु की सहायक नदियों में वितास्ता (झेलम) आस्किनी (चेनाब), परुष्णी (रावी), शतुद्र (सतलज), विपासा (व्यास) ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख नदियाँ थी। प्रमुख नदियाँ एवं उनके प्राचीन नाम नदियाँ एवं उनके आधुनिक नाम क्रुमु कुर्रम कुम्भा काबुल वितस्ता झेलम अस्किनी चिनाब पुरूष्णी रावी शातुद्रि सतलज विपाशा व्यास सदानीरा गंडक दृशद्वती घग्घर गोमती गोमल सुवस्तु स्वात् सिन्धु सिन्ध ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख नदियाँ एवं उनके…
सिन्धु घाटी सभ्यता के महत्त्वपूर्ण उत्खनन स्थल एवं उनकी तटीय स्थिति
नदी/ सागर तट खुदाई वर्ष जगह का नाम उत्खननकर्ता रावी नदी 1921 ई० हड़प्पा (मान्टगुमरी, पंजाब पाकिस्तान) दयाराम साहनी सिन्धु नदी 1922 ई० मोहनजोदड़ो (सिंध, पाकिस्तान) राखालदास बनर्जी सिन्धु नदी 1929 ई० आमरी एन० जी० मजूमदार सिन्धु नदी 1931 ई० चन्हूदड़ो (सिन्ध, पाकिस्तान) एन० जी० मजूमदार दाश्क नदी 1927 ई० सुताकांगेडोर (बलूचिस्तान-पाकिस्तान) सर ओरेल स्टीन हिंडन नदी 1952-55 ई० आलमगीरपुर (मेरठ-उत्तर प्रदेश) यज्ञदत्त शर्मा सतलज नदी 1950-55 ई० रोपड़ (पंजाब- मादर नदी तट) बी० बी० लाल,यज्ञदत्त शर्मा मादर नदी 1953 ई० रंगपुर (गुजरात-मादर नदी तट) माधोस्वरूप वत्स एवं रंगनाथ राव…
अशोक के शिलालेख एवं उनके विषय क्या थे?
अशोक के शिला लेख प्राचीन काल में राजा महाराजा विभिन्न शिलाओं पर अपने लेखों को लिखवाते थे, जिन्हें शिलालेख कहते हैं। अशोक के अभिलेखों में ब्राह्मी तथा खरोष्ठी लिपि प्रयोग की गई है। अशोक के शिलालेखों की लिपि ब्राह्मी एवं खरोष्ठी ही मुख्य रूप से है। इसके अतिरिक्त अशोक के कुछ शिलालेखों में (यूनानी) ग्रीक लिपि का भी प्रयोग मिलता है। अशोक के निम्नलिखित शिलालेख एवं उनके विषय है – अशोक के शिलालेख अशोक के शिला लेखों के विषय पहला शिला लेख पशुबलि निषेध किया गया| दूसरा शिला लेख मनुष्य एवं पशु चिकित्सा-व्यवस्था तथा…
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत क्या है?
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत जानकारी के वे साधन हैं जिनसे भारत के प्राचीन इतिहास के बारे जानकारी मिलती है, जिनके आधार पर इतिहास का निर्माण किया जाता है|इन्ही के आधार पर ऐतिहासिक घटनाओं का कालानुक्रम का निर्धारण किया जाता है| भारत के महान इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास के स्रोतों को चार भागों में बाँटा है- भारतीय इतिहास के पुरातात्विक स्रोत– प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए पुरातात्विक सामग्रियाँ सर्वाधिक प्रमाणिक है|इसके अंतर्गत प्राचीन अभिलेखों, मुद्राओं, स्मारक एवं भवन, मूर्तिकला, चित्रकला, एवं प्राचीन अवशेष…
सामवेद क्या है? प्रकार एवं भारतीय इतिहास में योगदान
सामवेद क्या है? सामवेद की शाखाएँ सामवेद की निम्नलिखित शाखाएँ हैं-
ऋग्वेद क्या है? परिचय, इतिहास, प्रकार एवं भारतीय इतिहास में योगदान
ऋग्वेद क्या है? ऋग्वेद की शाखाएँ ऋग्वेद की निम्नलिखित शाखाएँ है-
भारतीय इतिहास के पुरातात्विक स्रोत क्या है?
भारतीय इतिहास के पुरातात्विक स्रोत प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए पुरातात्विक सामग्रियाँ सर्वाधिक प्रमाणिक है|भारतीय इतिहास के पुरातात्विक स्रोत के अंतर्गत प्राचीन अभिलेखों, मुद्राओं, स्मारक एवं भवन, मूर्तिकला, चित्रकला, एवं प्राचीन अवशेष को संग्रहित किया गया है| अभिलेख अभिलेख भारतीय इतिहास के स्रोतों में से एक महत्व पूर्ण स्रोत है|इसकी मदद से लोगों की जीवन शैली, सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था का समुचित ज्ञान प्राप्त होता है| अभिलेखों के प्रकार अभिलेखों को मुख्यत: तीन प्रकारों में विभाजित किया गया है – प्राथमिक श्रेणी के अभिलेख प्राथमिक श्रेणी के अभिलेखों में…
भारतीय बौद्ध महासभा क्या है? परिचय, इतिहास एवं उद्देश्य
परिचय भारतीय बौद्ध महासभा बौद्ध धर्म एक संगठन है|जिसकी स्थापना डॉ० भीमराव अम्बेडकर ने 4 मई 1955 को मुंबई में की थी और इसका मुखालय मुंबई को हो बनाया गया|यह संगठन बौद्धों की विश्वफेलोशिप का एक सदस्य है, जो एक अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संगठन है । भारतीय बौद्ध महासभा के उद्देश्य भारतीय बौद्ध महासभा के उद्देश्य इस प्रकार हैं। भारतीय बौद्ध महासभा के अधिकार भारतीय बौद्ध महासभा की शक्तियाँ इस प्रकार हैं। भारतीय बौद्ध महासभा का सभासदस्यत्व सोसायटी के सदस्यों के दो वर्ग इस प्रकार होंगे: १) सभासद २) सहयोगी सभासद…
स्वराज पार्टी का परिचय, स्थापना, एवं इतिहास
स्वराज पार्टी क्या है? इसकी स्थापना क्यों और किसने की थी? स्वराज पार्टी या कांग्रेस-खिलाफत स्वराज्य पार्टी का गठन 1 जनवरी 1923 को सीआर दास और मोतीलाल नेहरू ने किया था। स्वराज पार्टी का गठन विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे असहयोग आंदोलन की वापसी, भारत सरकार अधिनियम 1919 और 1923 के चुनावों के बाद हुआ। स्वराज पार्टी – पृष्ठभूमि पार्टी तस्वीर में कैसे आई, इसे नीचे दिए गए बिंदुओं से समझा जा सकता है: स्वराज पार्टी के उद्देश्य स्वराज पार्टी का महत्व स्वराज पार्टी और उसकी उपलब्धियां पार्टी की कमियां पार्टी…