ऋग्वैदिक संस्कृति क्या है? एवं इसके विविध पहलू क्या हैं?

ऋग्वैदिक संस्कृति क्या है एवं इसके विभिन्न विविधि पहलू क्या हैं

ऋग्वैदिक संस्कृति के विविध पहलू क्या थे ? ऋग्वैदिक संस्कृति क्या है? इसका पता हमें ऋग्वैदिक संस्कृति के विविध के पहलुओं से पता चलता है|जिसके अंतर्गत उनका राजनीतिक जीवन, आर्थिक स्थिति, शासन एवं प्रशासन व्यवस्था, धर्म आदि आते हैं| जिनका विस्तृत विवरण निम्नवत है- ऋग्वैदिक आर्यों का राजनीतिक जीवन प्रारंभिक ऋग्वैदिक समाज  एक चरवाहा अर्थव्यवस्था वाला अर्ध-खानाबदोश आदिवासी समाज था। जनजाति  को जन कहा जाता था और आदिवासी प्रमुख को राजन, गोपति या गोपा (गायों का रक्षक) कहा जाता था और मुख्य रानी को महिषी कहा जाता था। राजन की मुख्य जिम्मेदारी जनों की…

संहिता क्या है एवं इसके कितने प्रकार?

संहिता क्या है? संहिता हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र एव प्राचीन ग्रंथों का संकलन है|इसमें मंत्रों को एक संकलन के रूप में संग्रहित किया गया है|ये वैदिक साहित्य का पहला हिस्सा है जिसमें काव्य रूप में देवताओं की स्तुति के लिए मंत्रों का वर्णन किया गया है|इनकी भाषा संस्कृत है|चार वेद होने के कारण चार प्रकार की संहिताएँ है और प्रत्येक संहिता की अपनी अलग-अलग शाखा है|इस प्रकार वैदिक संहिता को चार निम्नलिखित भागों में विभजित किया गया है- इनका विभाजन वैदिक यज्ञों में में कार्य करने वाले चार ऋत्विजों…

ब्राह्मण ग्रन्थ क्या हैं एवं यह कितने प्रकार के हैं?

ब्राह्मण ग्रन्थ एवं उनका विभाजन

ब्राह्मण ग्रन्थ क्या हैं? मूल संहिता के भाष्यों के रूप में लिखे गये ग्रन्थों को ब्राह्मण ग्रन्थ कहते हैं। ये ग्रन्थ प्रायः गद्यात्मक हैं। “ब्रह्म” शब्द के “ मन्त्र” और “यज्ञ” दो प्रमुख अर्थ हैं। मन्त्रों और यज्ञों तथा इन दोनों की व्याख्या होने के कारण “ब्रह्म” शब्द से ” ब्राह्मण” शब्द निष्पन्न हुआ है। ब्राह्मण ग्रन्थों का प्रतिपाद्य विषय ब्राह्मण ग्रन्थों का प्रमुख प्रतिपाद्य विषय यज्ञ का विधि-विधान है। विषय की दृष्टि से ब्राह्मण ग्रन्थों के दो प्रमुख भाग हैं “ – विधि,” और अर्थवाद” । विधि- यज्ञ का…

वेद क्या हैं? परिचय, महत्त्व एवं प्रकार

वेद क्या हैं? वेद क्या हैं? इसका अर्थ वेद शब्द जो “ विद्” धातु से निष्पन्न है, से मिलता है| जिसका अर्थ है ज्ञान, विचार, सत्ता एवं लाभ। “ज्ञान” का ही दूसरा नाम वेद है। यह वह ज्ञान है जो ब्रह्माण्ड के विषय में सभी विचारों का स्रोत है, जो सदा अस्तित्व में रहता है और जो सभी कालों में मनुष्य को उपयोगी वस्तुओं की प्राप्ति और उसके उपयोग के उपाय बताता है। मनुष्य के जीवन को शुभ संस्कारों द्वारा सुसंस्कृत करने के लिए ऋषियों द्वारा अनुभूत ज्ञान वेदों में…

वेदांग क्या हैं एवं इसके प्रकार क्या हैं?

वेदांग क्या हैं एवं इनका विभाजन कालक्रम से वैदिक संस्कृत के स्थान पर लौकिक संस्कृत का प्रचलन होने पर, वैदिक मन्त्रों का उच्चारण करना तथा अर्थ समझना कठिन हो गया। यास्क ने कहा है कि वैदिक अर्थों को समझने में कठिनाई का अनुभव करने वाले लोगों ने निरुक्त तथा अन्य वेदांग की रचना की। वेदों के छ: अंग माने गए – इन्हें समझने वाला व्यक्ति ही वेदों का सही उच्चारण, अर्थबोध एवं यज्ञ कार्य कर सकता था। इन सभी शास्त्रों के ग्रन्थ लौकिक संस्कृत में लिखे गए, क्योंकि इनके विकास…

ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख नदियाँ एवं उनके आधुनिक नाम

ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख नदियाँ एवं उनके आधुनिक नाम क्रुमु (कुरुम),गोमती (गोमल), कुभा (काबुल) और सुवास्तु (स्वात) नामक नदियां पश्चिम किनारे में सिन्धु की सहायक नदी थीं। पूर्वी किनारे पर सिन्धु की सहायक नदियों में वितास्ता (झेलम) आस्किनी (चेनाब), परुष्णी (रावी), शतुद्र (सतलज), विपासा (व्यास) ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख नदियाँ थी। प्रमुख नदियाँ एवं उनके प्राचीन नाम नदियाँ एवं उनके आधुनिक नाम क्रुमु कुर्रम कुम्भा काबुल वितस्ता झेलम अस्किनी चिनाब पुरूष्णी रावी शातुद्रि सतलज विपाशा व्यास सदानीरा गंडक दृशद्वती घग्घर गोमती गोमल सुवस्तु स्वात् सिन्धु सिन्ध ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख नदियाँ एवं उनके…