विधि- यज्ञ का अनुष्ठान कब किया जाय, कैसे किया जाय, उसमें किन-किन साधनों की आवश्यकता होती है, उन यज्ञों के अधिकारी कौन-कौन होते हैं, इत्यादि विषयों का समाधान “विधि” के अन्तर्गत आता है। यज्ञ के विषय में यदि कुछ विरोध प्रतीत हो तो उसका परिहार करना ब्राह्मणभाग का उद्देश्य है।

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