एक दिन गांधी ने अपने एक अनुयायी से कहा, “अगर कोई मुझे मारने की कोशिश करेगा तो मैं अपनी आखिरी सांस में भगवान का नाम लूँगा|उससे मैं अपने कातिल को माफ कर दूंगा|” तीन दिन बाद, 30 जनवरी, 1948 को गांधी एक प्रार्थना सभा का नेतृत्व करने गए|उन्हें सुनने के लिए बड़ी संख्या में उनके अनुयायी और दोस्त वहां मौजूद थे|गाँधी मंच तक पहुँचने के लिए लोगों के बीच से गुज़रे लोगों का अभिवादन करने के लिए उन्होंने अपने दोनों हाथ जोड़े| एक हिंदू व्यक्ति नाथूराम गोडसे, जो गाँधी को भारत के विभाजन के लिए गांधी को दोषी मानता था, गांधी के पास आया|उसने पिस्तौल से निशाना साधा और तीन गोलियां चलाईं|जैसे ही गांधी अपने दोस्तों की गोद में गिरे, उनके लबों पर भगवान का नाम था|इस शब्द के साथ, उन्होंने अपने हत्यारे को माफ कर दिया था| हत्यारे को गिरफ्तार कर मौत की सजा दी गई|गांधी के बेटे नहीं चाहते थे कि उस हत्यारे को फांसी दी जाए|उन्हें पता था कि गांधी उस के खिलाफ होंगे|उनके पिता ने अपने हत्यारे को माफ कर दिया होगा. पर उनकी बात किसी ने नहीं सुनी.. उस हत्यारे को फांसी दे दी गई|

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