यूनानी सभ्यता (Greek Civilization)


यूनानी सभ्यता (Greek Civilization) :-

यूनान एक पहाड़ी प्रायद्वीप है, जो पूर्वी भूमध्यसागर पर स्थित है । पहाडी क्षेत्र होने के कारण यहां का एक चौथाई भाग ही कृषि योग्य है। इसका तट चारों तरफ से पहाडियों द्वारा कटा-फटा होने के कारण यहां पर कई अच्छी बन्दरगाहें स्थित होने तथा एशिया और अफ्रीका के समीप होने के कारण यहां के नागरिक बैबीलोन, एशिया माइनर और मिस्र की सभ्यताओं के सम्पर्क में आ सके। प्रांरभिक यूनानी पशुपालक एवम् कृषक थे तथा यहां की जलवायु में अंजीर तथा अंगूर की ही कृषि संभव थी। कृषि योग्य भूमि की कमी के कारण जब जनसंख्या में वृद्धि हुई तो बहुत से लोग मछली पालन व्यवसाय तथा व्यापार से अपनी आजीविका अर्जित करने लगे और शराब का भी निर्यात किया जाने लगा।

यूनान की भौगोलिक स्थिति के कारण यहां यातायात एवम् संचार साधनों की कमी थी। इसलिए पूरा देश प्रारंभिक काल में एकजूट ना होकर छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्यों में विभक्त था और इन छोटे-छोटे प्रवेशों में ही आपसी संघर्ष होता रहा। तटीय क्षेत्रों पर स्थित होने के कारण विभिन्न प्रदेश दूसरी सभ्यताओं के सम्पर्क में आए और विचारों के आदान-प्रदान से नए विचारों का प्रतिपादन यूनान में हुआ। 2000-1400 ई०पू० तक यूनान पर मायोनियन सभ्यता का प्रभाव रहा तथा क्रीट पर इसका बहुत प्रभाव रहा। पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में इन लोगों का काफी प्रभाव था तथा अच्छे नाविक होने के कारण इनका व्यापार काला सागर से नील नदी तक तथा फ्यूनिशिया में भी होने लगा। माया सभ्यता के लोग जैतून का तेल, शहद, और शराब का निर्यात करते थे इसके बदले सोना, कीमती पत्थर, अनाज और कपड़ा अपने देश में मंगवाते थे। नौसस नामक नगर इनकी राजधानी था, जहां इनके शासक ने एक भव्य मंदिर बनवाया था।

ऐकियन सभ्यता :-

लगभग 2000 ई०पू० में उत्तर से एकियाई जाति के लोगों ने यूनानी प्रायद्वीप पर आक्रमण कर दिया और यहां बस गए बाद में दक्षिणी यूनान को भी इन्होंने नियंत्रण में कर लिया। यहां व्यापार और विजयों से इन्होंने अपना साम्राज्य विस्तार किया। 1400 ई०पू० में इन्होंने ऐजियन तथा नौसोस पर भी अपना अधिकार कर लिया। इनके प्रत्येक शहर में एक योद्धा शासक प्रशासन संभालता था। व्यापार तथा लूटी गई संपति से इन शासकों ने काफी धन अर्जित कर लिया था। इन्होंने प्रत्येक शहरों में किलों का निर्माण करवाया। किलों के बाहर व्यापारी, कारीगर, शिल्पी तथा किसान छोटे-छोटे गांव में रहते थे और राज्य को कर देते थे। इस सभ्यता पर माया सभ्यता का काफी प्रभाव था जो इनकी प्रत्येक वस्तु पर देखने को मिलता है।

होमर युग :-

यूनान के इतिहास में 1250 ई०पू० में एशियाई लोगों ने अपने माइसीनियाई राजा के नेतृत्व में ट्राय (Troy) पर धावा बोल दिया, जो उस समय एक प्रमुख व्यापारिक शक्ति था। यहां एक लंबे संघर्ष के बाद इन्हें विजय प्राप्त हुई। सर्वप्रथम इन युद्धों का वर्णन होमर द्वारा लिखित दो महाकाव्यों इल्यिाद तथा ओडेसी में मिलता है। इसे होमर ने 9वीं शताब्दी ई०पू० में लिखा था। जैसा कि यूनानी विद्वान हेरोडोटस मानते है कि इलियड में एचियन या एकियन राजाओं के शासनकाल में हुई घटनाओं तथा अन्य सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व्यवस्था के बारे में ज्ञान मिलता है।

राज्य व्यवस्था (State Structure) :-

होमर काल में एकियन युग के विशाल नगर विध्वंसत हो चुके थे। इस कारण प्रत्येक राज्य गांव के समृद्ध रूप में अत्यंत आदिम संगठन के रूप में थे। इन ग्रामीण राज्यों के निवासी प्रायः अपने को एक ही पूर्वज के वंशज मानते थे। इनका एक नेता था जो सामान्यतः सबसे शक्तिशाली व्यक्ति था तथा उसे ही वे अपना राजा मानते थे। वही युद्ध में उनका नेतृत्व करता था एवम् न्यायिक जिम्मेदारियां भी उसी की थी। इस काल में स्थाई सेना नही थी, आपातकाल में नगर तथा गांवों के सरदार या सांमत सेना भेजते थे। राज्य की कर व्यवस्था भी व्यवस्थित नही थी तथा राज्य की आय लूट के माल या भेंट पर ही आधारित थी।

इस काल में प्रशासन में राजा की सहायता के लिए दो सभांए भी थी जिनमें एक तो सांमतो की सभा थी जिसे ब्यूल कहा जाता था दूसरी स्वतंत्र नागरिकों की सभा थी जिसे एंगोरा नाम दिया गया था। इस काल में इन संस्थाओं का संगठन काफी शिथिल था क्योंकि इनका कार्यक्षेत्र अधिकार और कर्त्तव्य निश्चित नहीं थे। इस काल में ना तो कोई प्रतिशासक (regeant) नियुक्त हुआ और न ही किसी सभा की मीटिंग हुई।

सामाजिक व्यवस्था (Social System) :-

होमर काल में पित सतात्मक समाज था। पिता परिवार का सर्वेसर्वा होता था वह परिवार के किसी व्यक्ति को आज्ञा उल्लंघन पर कठोर दण्ड भी देता था तथा परिवार की खुशियों के लिए बलि देता था। हांलाकि इस काल के प्रसिद्ध महाकाव्यों एलियड तथा ओडिसी में मुख्यतः सामतों के जीवन का वर्णन है। लेकिन अन्य स्रोतों से भी सामाजिक जीवन की जानकारी मिलती है, जिनसे पता चलता है कि व्यवहार में पिता या परिवार का मुखिया परिवार की खुशियो का ख्याल रखता था। सर्वसम्मति से ही परिवारिक निर्णय लिए जाते थे समाज में स्त्रियां भी पुरूषों के समान सार्वजनिक कार्यों में भाग लेती थी। विवाह अवसर पर पत्नी के पिता को वर पक्ष पशु देते थे तथा कन्या का पिता उन्हें कुछ धन दहेज स्वरूप प्रदान करता था। इस धन पर लड़की का अधिकार होता था। इस काल में सुंदर स्त्रियों के लिए संघर्ष के अनेक प्रमाण मिलते हैं। कई विद्वान तो ट्राय के युद्ध का कारण भी स्पार्टा नरेश की पत्नी का ट्राय के नरेश द्वारा अपहरण को मानते है एलियड के अनुसार एक ट्रायन राजकुमार पेरिस ने स्पटा के शासक और उसके भाई ने दूसरे राज्यों की सहायता ली तथा 10 वर्षो के युद्ध के पश्चात् ट्रायन को हरा कर मार दिया तथा ट्राय को नष्ट कर दिया। इस काल में जो वीर युद्ध में असाधारण शौर्य दिखाता था वह सामंत बन जाता था। लोग इस काल में साधारण जीवन व्यतीत करते थे | सांमत के पास कुछ ऐसे व्यक्ति होते थे जो उसके लिए सैनिक सेवांए ही नही बल्कि उसके खेतों में भी कार्य करते थे।

इस काल में लोग सूती और ऊनी वस्त्र पहनते थे तथा एक वस्त्र शरीर के निचले हिस्से पर लपेटते थे एक अन्य शरीर के ऊपरी भाग पर ओढ़ते थे। लोग घरों में साधारणतः नंगे पांव रहते थे। परन्तु बाहर जाने पर जूते पहनते थे। पुरूष और स्त्रियां दोनों ही केश रखते थे तथा ढाढ़ी मूंछे रखने की परम्परा भी थी।

आर्थिक अवस्था (Economic Condition) :-

इस काल में लोगों को मुख्य व्यवसाय खेती था। वे गेहूँ, कपास, तिलहन, जैतून, अंजीर और अंगूर इत्यादि की खेती करते थे। कृषि के अतिरिक्त पशुपालन भी उनकी आजीविका का एक अन्य साधन था। इसके अतिरिक्त गाडियों का निर्माण करने वाले बढई, स्वर्णकार, लुहार अपने कार्यों में दक्ष थे। मिट्टी के बर्तन बनाने में कुम्भकार दक्ष थे तथा इसके बर्तन दूर-दूर के प्रदेशों में निर्यात किए जाते थे। इसके अतिरिक्त अन्य विकसित उद्योग-धन्धों के कारीगर भी थे। यद्यपि वे इतने दक्ष नही थे, क्योंकि सामान्यतः प्रत्येक परिवार अपने वस्त्र और औजार स्वयं ही बनाता था। वस्तुओं को खरीदने और बेचने के लिए विनिमय प्रणाली अस्तित्व मे थी।

धर्म :-

इस काल में यूनानियों ने अधिकांशतः प्राकृतिक शक्तियों का दैवीकरण कर लिया था। इन्हें मनुष्यों के ही समान अपने क्रिया कलाप करते दर्शाया गया है। लेकिन अन्तर केवल इतना था कि देवता अमृत पान करने के कारण अमर थे। इनके देवताओं का निवास स्थल ओलम्पस पर्वत था। जियस प्रमुख देवता था, जो आकाश देव भी था। सूर्य देव अपोलो इनके युद्ध का देव, एथेना विजय की देवी थी। इनके अलावा भी कई अन्य देवी-देवता थे, जिनमें हेडिज नाम परलोक का देवता थी था ।

अन्धकार युग (Dark Age) :-

ट्राय युद्ध की समाप्ती के बाद एकीयन सभ्यता को उस समय आघात पहुंचा जब डोरियन आक्रमणकारियों ने यूनान पर आक्रमण कर दिया। ये लोग लोहे के अस्त्र-शास्त्रों का प्रयोग करते थे। इन लोगों ने सभी नगरों को ध्वसंत कर दिया तथा व्यापार में बाधा डाली। जिसके कारण कलात्मक विशेषता और लेखन कला समाप्त हो गई। परन्तु कुछ यूनानी इन डोरियन आक्रमण के कारण एशिया माइनर के पश्चिमी किनारे पर जा बसे तथा वहां उन्होंने एकीयन सभ्यता और ओडिसी की रचना की, उस समय वह एशिया माइनर में ही रहता था। इस अंधकारमय युग में एशिया माइनर में ये व्यापार से काफी समृद्धशाली हो गए तथा उन्होंने फ्यूनिशियाई लेखन कला को अपना लिया। कुछ यूनानी दार्शनिकों ने परम्परागत विचारों को तर्क पर रखना शुरू किया। इसी कारण यूनान में तर्क-विर्तक से दर्शन, इतिहास और विज्ञान में बाद के काल में काफी प्रगति हुई।

यूनानी नगर-राज्य :-

अन्धकार युग में अनेक युद्धों के कारण यूनानी दूर स्थित छोटे-छोटे गांवों में रहने लगे थे। क्योंकि अनेक युद्धों के कारण उनके नगरों का अंत हो गया था। इस काल को इसलिए अंधकार युग कहते है क्योंकि इस काल के बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं है। 700 ई०पू० के आसपास पुनः यहां बाहरी प्रभाव के कारण पुनरूत्थान की शुरूआत हुई। 750-500 ई०पू० के बीच के काल को Archaic काल कहा जाता है। इस प्रारंभ युग में यूनान में कुछ समृद्ध गांव तथा शहर बसने शुरू हुए जिन्हें Polis (पोलिस) कहा जाता था। ये नगर राज्य एक स्वतंत्र इकाई हुआ करते थे तथा सामान्यतः नगर राज्य पहाड़ पर एक किलाबंद केन्द्र होते थे जिन्हें Acropolis कहा जाता था। इस काल में लोगों का जीवन इन्ही Acropolis के आसपास केन्द्रित था। युद्ध के समय, अपने शहर की सुरक्षा, शांति के समय, अपने कार्यों पर विचार-विमर्श करने तथा अपने देवताओं की पूजा अर्चना करने के लिए यहीं पर एकत्रित होते थे।

प्रारंभिक प्राग काल में नगर राज्य (Polis) में समाज कृषि प्रधान था और राजनैतिक व्यवस्था काफी शिथिल थी। प्रत्येक शहर के आसपास के कुछ गांव इस प्रकार नगर राज्यों में होते थे जहां कृषि की जाती थी। प्रत्येक नगर राज्य के गांव की संख्या निश्चित नही होती थी जहां कृषि की जाती थी। स्पार्टा में इनकी संख्या प्रारंभ में 5 थी। प्रत्येक नगर में बड़े अमीर जमींदार, छोटे किसान, भूमिहीन कृषक या मजदूर और शिल्पी इत्यादि थे। कुछ स्थानों पर सर्फ भी थे।

समाज की प्रारंभिक इकाई परिवार थी परिवार में खून के रिश्तों से जुड़े लोगों के अतिरिक्त उन पर आश्रित भी अनेक लोग होते थे। जिन्हें ये परिवार सुरक्षा प्रदान करते थे इसके बदले में ये आश्रित इनके खेतों में काम करते थे तथा सभाओं में इन्हें सहयोग देते थे। इस काल में समाज का विभाजन रेखीय था। आपसी संघर्ष वर्गों के बजाय समूहों में होते थे। प्रत्येक समूह का नेतृत्व एक या कुछ प्रभावशाली परिवार करते थे। बाद में इनके संबंध वंशानुगत भी हो गए। जिन्हें genos ( जीनोज) या Clan (क्लैन) भी कहा जाने लगा इन जीनोज तथा उनके सम्बद्ध आश्रितों से (Phratry) फ्रैट्री बनती थी।

प्रत्येक नगर राज्य के नागरिक वंशानुगत वर्गों में बंटे हुए थे जिन्हें Phylai (फाललाई) कहा जाता था। इसे रोमन एक कबीले या Tribe का नाम देते थे डोरियन नगर राज्य में तीन कबीले थे जबकि अन्य आयोनियाई नगर राज्यों में यह इतने संगठित नही थे।

राजनैतिक संगठन (Political Institutions) :-

प्रारंभिक नगर राज्यों में हमें तीन राजनैतिक संस्थाओं के प्रमाण मिलते है जिनका उद्भव स्थानांतरण के कारण हुआ। इन तीन प्रमुख संस्थाओं में राजा, काउंसिल तथा सभी पुरूष नागरिकों की एक असैम्बली होती थी। जब यूनान में स्थानांतरण हुआ तब प्रत्येक कबीले को एक युद्ध का नायक चाहिए था जो कालान्तर में पैतृक या वंशानुगत हो कर राजा में परिवर्तित हो गया जब इन लोगों ने स्थाई निवास किया। जब राजा को कभी किसी कार्य, युद्ध इत्यादि के लिए किसी की आवश्यकता होती तो वह अपने विभिन्न समूहों के नेताओं की बैठक बुलाता तथा परामर्श करता, इससे काउंसल का प्रारंभ हुआ। अपने इस निर्णय को वह सभी व्यस्क पुरूषों के समूह में घोषित करता तथा उन्हें कूच करने की आज्ञा देता। इससे असैम्बली का प्रारंभ हुआ।

राजा (King) :-

इस प्रकार की राजनैतिक व्यवस्था में राजा का पद काउंसिल पर अधिक आश्रित था। क्योंकि यदि राजा Minor हुआ या उसका उतराधिकार का झगड़ा हुआ तो कान्सिल की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो जाती थी। कुछ नगर राज्यों में तो राजा के साथ सहयोग के लिए विभिन्न अधिकारियों की नियुक्ति भी की जाने लगी। सामान्यतः इनकी नियुक्ति प्रति वर्ष चुनाव द्वारा होती थी। ऐयन्स तथा कई अन्य नगर राज्यों में तो राजा का पद भी चुनाव द्वारा प्रतिवर्ष के लिए होता था ।

काऊंसिल (Council) :-

कांऊसिल में विभिन्न कबीलों अथवा नगर राज्यों के मुखिया हुआ करते थे। प्रारम्भ में काऊंसिल एक परामर्श कारी ईकाई थी। राजा जिसमें युद्धों के दौरान विचार विर्मश करता था। कालान्तर में राजा की शक्तियों कम होने के कारण यह शक्तिशाली हो गए तथा विभिन्न समूहों के नेताओं की आपसी राजनैतिक रंजिश का एक मुख्य केन्द्र बन गई।

असैम्बली (Assembly) :-

नगर राज्य के सभी नागरिक इसके सदस्य होते थे। सामान्यतः इनका कार्य काऊंसिल तथा राजा के फैसलों को स्वीकृति देना होता था। इसके अलावा राजा युद्धों के दौरान अपने काऊंसिल के सदस्यों से विचार विमर्श कर असेम्बली में युद्ध की घोषणा करता था। राज्य के सभी नागरिकों को युद्ध में हिस्सा लेने के निर्देश दिए जाते थे। जिसे वे ध्वनि या शोर कर अनुमोदित करते थे।

इस काल में यूनानी नगर राज्यों के पूर्व की संस्कृतियों से सम्पर्क हाने के कारण अनेक सामाजिक बदलाव आए जैसे इन लोगों ने फ्यूनीशिया से उनकी अक्षर माला ग्रहण की। इस काल में प्राकृतिक डिजाइनों वाले नए प्रकार के मृदमांड मिलने शुरू हुए। सैनिक साजों सामान में भी इन्होंने इस काल में योद्धाओं को ठाल, तलवार, भाले, हेलमेट, बाजु धाती का सुरक्षा कवच इत्यादि से परिचित करवाया। इस प्रकार इनकी युद्ध प्रणाली में भी परिवर्तन आया। पहले सैनिक एक व्यक्तिगत योद्धा की भांति लड़ते थे लेकिन इस काल में वे एक संगठित सेना की भांति लड़ने लगे।

तानाशाह काल (Dictatorship) :-

सैनिक गतिविधियों में हुए परिवर्तनों का इस काल के समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ा। पहले नगर के प्रत्येक नागरिक को सैनिक गतिविधियों में हिस्सा लेना पडता था लेकिन अब यह कार्य केवल कुछ रांजतत्रात्मकों के हिस्से में आ गया। इस कारण समाज में सैनिकों की प्रतिष्ठा बढ़ गई। इस नए प्रकार की सेना और युद्ध प्रणाली से सेना में अनुशासन आ गया इससे राज्य की प्रभुता का विकास हुआ। इस कारण तानाशाही शासन व्यवस्था का प्रारंभ हुआ। क्योंकि नई युद्ध व्यवस्था में युद्ध के रथ जिन पर नोबेल सवार होकर विजयी हुई, निर्णायक सिद्ध हुआ। इस काल में अनेक छोटे कृषक कर्ज के बोझ के कारण दास बन गए तथा जनसंख्या में हुई वृद्धि के कारण भूमि के लिए संघर्ष बढ़ गया। फ्यूनिशियन के सम्पर्क के कारण यूनान में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ी और समाज में मध्यम वर्ग अस्तित्व में आया | ये व्यापारी वर्ग, पस्तकार विभिन्न प्रदेशों में जाने लगे और इन्होंने बाहरी विचारों के सर्म्पक के कारण निम्नवर्ग के साथ मिलकर कुलीनतंत्र का विरोध किया। इस वर्ग संघर्ष के कारण अवसरवादी नेताओं ने शस्त्र बल के आधार पर राजसत्ता पर अधिकार कर लिया। इन्हें टायरेण्टस या तानाशाह कहा जाता था। सत्ता में बने रहने के लिए इन्होंने सार्वजनिक कार्यों जैसे मन्दिरों, सुरक्षा प्राचीरों, किले इत्यादि तथा निम्न वर्ग को नौकरियां दे दी। कुछ तानाशाहों ने कला को भी प्रोत्साहन दिया जिस कारण कुछ नगर राज्यों में सांस्कृतिक तथा आर्थिक उन्नति भी हुई। लेकिन धीरे-धीरे ये तानाशाह अत्याचारी हो गए | लेकिन आर्थिक उन्नति के कारण बाहरी और सर्म्पकों के कारण यहां के नागरिकों में राजनैतिक चेतना बढ़ी और छठी शाताब्दी ई०पू० में कुछ यूनानी नगर राज्यों में लोकतंत्र की स्थापना हुई। यद्यपि कई नगर राज्यों में नागरिकों द्वारा सरकार चलाने की प्रथा प्रारंभ हो गई सर्वप्रथम यह एथेन्जस में शुरू हुई।

समस्त यूनान में धीरे-धीरे दो प्रकार की शासन प्रणालिया प्रारंभ हो गई। जिस कारण पूरा यूनान विश्व के दो खभों में बंट गया। प्रथम प्रणाली के तहत लोगों द्वारा शासन चलाया जाता था जो एंथेस में विद्यमान थी। दूसरी ओर स्पार्टा और उसके सहयोगी नगर राज्यों में जहाँ सरकार सेना की, सेना द्वारा और सेना के लिए ही थी, ऐंथेस मे जहाँ लोकतंत्र के कारण व्यापार, कला और साहित्य का विकास हुआ। वहीं दूसरी और स्पार्टा में यह विकास नहीं हो पाया। हांलाकि इन्होंने बहुत बहादुर सेना और सेनानायक स्पार्टा को दिए तथा जब भी कोई बाहरी शक्ति यूनान पर आक्रमण करती तो उसे स्पार्टा की सेना की मदद लेनी पड़ती थी।

एथेन्स नगर राज्य (Athnes City State) :-

एथेन्स एट्टिका प्रदेश का एक महत्वपूर्ण नगर था। यह उन कुछ प्रमुख यूनानी नगरों में से है जहां पर कोरस काल में ही विकास हुआ | एट्टिका क्षेत्र में बहुत से मैदान पहाड़ों द्वारा अलग किए है। इनके मध्य मैदान में एथेन्स स्थित है तथा साथ ही समृद्धशाली क्षेत्र फलेरोन की खाड़ी भी इसी में शामिल थी पश्चिम में थरीया (Thria) का मैदान तथा पूर्वी एटिका में Brauron और मैराथन इत्यादि नगर थे। पूरे एट्टिका के एकीकरण के प्रथम चरण में समस्त क्षेत्र में तीन-चार शक्तिशाली नगर राज्य थे। दूसरे चरण में एथेन्स ने इन सभी 12 राज्यों को मिलाकर एक नगर राज्य का गठन किया। इस कारण वह यूनान का एक प्रमुख नगर बन गया। इस संगठित राज्य की मुख्य राजनैतिक संस्था नौ अर्कन अथवा सरंक्षकों की एक सभा थी ये सभी नौ अर्कन 487 तक असेम्बली द्वारा एक वर्ष के लिए चुने जाते थे। एथेंस में पहले राजतंत्र तथा राजा होता था और यहां का अन्तिम ज्ञात राजा कोड्रस था। राजा की यह पदवी नौ में से किसी एक आर्कन को दी जाती थी।

इसके अतिरिक्त एक सार्वजनिक असेम्बली होती थी जो आर्कनों का चुनाव करती | कांऊसिल का नाम Council of the Arepagus कांऊसिल ऑफ दी एरियोपेगस था, क्योंकि इसकी बैठकें एक्रोपोलिस (गढ़ी) पर हुआ करती थी। जिन्होंने 9 आर्कनो की कांऊसिल की सदस्यता प्राप्त की थी वे सभी इसके सदस्य होते थे। प्रारंभ में कांऊसिल का कार्य राजाओं को परामर्श देना था। एथेन्स के लेखकों का मत है कि चौथी पांचवी सदी ई०पू० में यह काफी शक्तिशाली संस्था के रूप में स्थापित थी। इस काल में आर्कनों की कम से कम आयु 30 वर्ष होती थी तथा वे एक वर्ष के लिए पदों पर नियुक्त किए जाते थे। पद से मुक्त होने के बाद वे कांउसलर हो जाते थे। जहां वे अपने अनुभव के आधार पर कार्य करते थे | यह सभा आर्कनों पर अंकुश रखती थी। हत्या तथा विद्रोह जैसे गंभीर मामलों पर विचार-विर्मश यहीं किया जाता था। इसका कार्य अनुशासनहीन नागरिकों को दण्ड देना भी था। इस काल में एंथेस के कानून लिखित नही थे, इसलिए न्याय व्यवस्था पर सांमतो का अधिकार होने के कारण निर्धन कृषकों पर अधिक अत्याचार किए जाने लगे। इस काल में यूनान में जैतून और अंगूर की खेती प्रारंभ हो गई थी, इनकी खेती करने वाले काफी समृद्ध हो गए थे और आम किसानों की स्थिति दयनीय हो गई थी ये ऋणों पर निर्भर रहने लगे थे इसे अदा ना करने की स्थिति में ये अपनी जमीनें गिरवी रख कर कृषक दास बन गए।

सोलन के सुधार (Reforms of Solan) :-

ऐटिका प्रदेश के कृषकों और श्रमिकों की स्थिति अत्यंत शोचनीय थी। उनके पास भूमि नही थी। खेतों की उपज का 1/6 भाग उन्हें मजदूरी के तौर पर मिलता था। इससे उनका निर्वाह काफी कठिन था अतः, उन्हें ऋण लेना पड़ता था। संपति के अभाव में उन्हें अपना शरीर भी बेधक रखना पड़ता था। ऋण अदा ना कर पाने पर इन्हे दास भी बनना पड़ता था। नगर में इनकी संख्या बढ़ती जा रही थी। परिणामस्वरूप धनी वर्ग ज्यादा अमीर तथा निम्न वर्ग ज्यादा गरीब हो रहा था। इसलिए नागरिक ने विद्रोह करने शुरू कर दिए। नगर की स्थिति सुधारने के लिए solon को नियुक्त किया गया और इसे कानूनों में सुधार के लिए असाधारण अधिकार दिए गए।

आर्थिक और सामाजिक सुधार (Economic & Social Reforms) :-

सोलन ने आर्कन का पद संभालते ही पहली घोषणा द्वारा ऋण लेने वालों को मुक्त कर दिया। वे गुलाम जो कर्ज अदा नही कर पाने के कारण इस दशा में थे, स्वतंत्र कर दिए गए। इसके अलावा सोलन ने कानूनों में सुधार किया कि कोई भी व्यक्ति ऋण अदा ना कर पाने के कारण गुलाम नही बनाया जा सकता था। इसके पहले आर्कन पद पर आते ही घोषणा करते थे कि वह सभी संपति की रक्षा करेगें। परन्तु सोलन ने इस परम्परा के विरूद्ध एंथेस की जनता को एक संदेश दिया जिससे उनके दुख दूर हुए। उसके द्वारा किए ऋण संबंधी सुधारों ने तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। इसी कारण इसके इन सुधारों को यूनान की ही नही बल्कि विश्व की महान घटना मानते है। मनुष्स की मर्यादा को समझने की यह पहली कोशिश थी।

भूमि सबंधी सुधार (Land Reforms) :-

इसके पश्चात् सोलन ने भूमि-संबधी कानूनों में भी सुधार किया। इसने एक सीमा निश्चित कर दी, जिससे किसी के पास अधिक भूमि नही हो सकती थी। उसने यह संशोधन इसलिए किया कि एक व्यक्ति के पास ज्यादा भूमि ना हो। इसने एटिका में उत्पादित वस्तुओं का निर्यात कानून द्वारा बंद कर दिया। जिस कारण यहां वस्तुएं सस्ती हो गई और नागरिकों को इससे लाभ हुआ इसने ऋण अदा ना कर पाने वालों की आधी जमीन उन्हें वापिस लौटा दी और उन्हें स्वतंत्र कर दिया। इसने 1/6 भाग उपज का कर के रूप में देने पर भी रोक लगा दी।

सोलन ने मध्यमवर्ग के व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए और देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए नाप-तौल प्रणाली, मुद्रा प्रणाली में भी सुधार किए। आयोनिया के सिक्कों के आदर्श पर नए सिक्कें प्रचलित किए जिससे व्यापार वाणिज्य में उन्नति हुई । इसने शिक्षा प्रणाली में भी सुधार किए। इसने घोषणा की कि वे पिता, जिन्होंने अपने पुत्रों की शिक्षा का उचित प्रबंध नही किया, बुढापे में अपने पुत्रों से सहायता प्राप्त करने के अधिकारी नही है। लड़कों को शारिरिक व्यायाम, संगीत एवम् कविता की शिक्षा अवश्य मिलनी चाहिए। जिससे उनका मानसिक और शारिरिक विकास हो सके। उसने यह भी कानून बनाया कि जो नागरिक राजनैतिक कार्यों में सक्रिय भाग नही लेते उन्हें दण्ड दिया जाएगा। इसने विदेशी मूल के दस्तकारों को तथा उनके परिवारों को एंथेस की नागरिकता प्रदान कर उन्हें यहां बसने के लिए प्रोत्साहित किया। लौरियम में चांदी की खानों से खनन प्रारंभ कर देश की आर्थिक स्थिति में सुधार किया।

सोलन ने समाज को चार वर्गों में विभाजित किया प्रथम वर्ग, जिसे Pentakosiomedimnoi (पेन्टाकोसिओयडिम्नोई) कहा गया इसमें वे लोग थे जिनकी आय 500 बुशल से अधिक थी। दूसरा वर्ग Hippeis (हिप्पेइस) जिनकी आय 300 बुशल, तीसरा वर्ग Zeugitai जेऊगितेई जिनकी आय 200 बुशल, चौथा वर्ग Thites (थीतेस) जिसकी आय इससे कम हो। वर्गों के आधार पर ही राजनैतिक पद दिए जाते थे। प्रथम दो वर्गों से ही आर्कन चुने जाते थे। जबकि चौथे वर्ग को केवल असैम्बली की सदस्यता मिलती थी।

प्रशासनिक सुधार (Administrative Reforms) :-

यह अपने सामाजिक सुधारों की अपेक्षा संवैधानिक सुधारों के लिए अधिक प्रसिद्ध है इसने प्रशासनिक सुधारों में शासन समितियों का पुनर्गठन किया इसने एरियोपैगस संस्था, जिसमें उच्चवर्ग के ही सदस्य होते थे, लेकिन अब इसमें कुलीन वर्ग ही नहीं बल्कि कोई भी नागरिक आर्कन हो सकता था तथा अवकाश प्राप्त आर्कन इसके सदस्य होते थे। उसने इसके अधिकारों में कमी कर दी। इसके अधिकारों को कम करने के बाद इसे नई संस्था का निर्माण करना पडा। इसलिए नई कांउसिल का निर्माण किया गया जिसके 400 सदस्य होते थे। इन संस्था के सदस्य प्रत्येक वर्ग के लोग निर्वाचित थे। केवल थीट्स इसके सदस्य नही हो सकते थे।

सोलन ने सार्वजनिक कचहरियों और न्यायलयों का भी निर्माण किया। न्यायालयों का निर्माण उसका सर्वाधिक क्रांतिकारी सुधार था, जो एंथेंस के गणतांत्रिक शासन की आधारशिला बन गया। कचहरियों को ‘हीलिया’ कहा जाता था। मजिस्ट्रटों का चुनाव जनता की सभा में होता था।

पिसिस्ट्रेटर्स का स्वेच्छाचारी शासन :-

सोलन के सुधारों के बावजूद भी समाज में विरोधाभास जारी रही। इसके सुधारो से किसी भी वर्ग को पूर्णतः संतोष नही हुआ था। विशेषतौर पर धनी, कुलीनवर्ग, उच्चकुलतंत्र पुनः अधिकार चाहता था क्योंकि सोलन ने इनके अधिकारों में कमी कर दी थी। इस परिस्थिति से लाभ उठाकर पिसिस्ट्रेटस नामक व्यक्ति ने एथेंस में स्वेच्छाचारी शासन की स्थापना की। यह भी एक कुलीन था, पर यह उदार था। इसने अपने काल में राज्य का विकास करने की कोशिश की।

क्लैस्थनीज के सुधार :-

पिसिस्ट्रेटस के स्वेच्छाचारी शासन के बाद एथेंस गणतंत्र का कार्य क्लैस्थनीज के हाथों में आ गया कई ऐसी घटनाएं हुई जिससे तानाशाही का अंत हो गया था और क्लैस्थनीज ने 500 ई०पू० में सुधारों के नए दौर की शुरूआत की। सोलन द्वारा निर्मित संस्थांए इस काल में सुचारू रूप से कार्य नही कर रही थी इसका कारण था कि एटिका प्रदेश में बसने वाले कुलों (Tribe) की शक्ति बढ़ गई थी और इन विभिन्न कुलों के आपसी झगड़े ही समस्या थे। राज्य को गरीब वर्ग से उतना खतरा नही था जितना इन कुलों से था | क्लैस्थनीज ने इन कुलों को भंग करने का प्रयत्न किया और नए आधार पर जनता का विभाजन करना चाहा। इसने 10 नए कुलों का निर्माण किया, जिनका आधार भौगोलिक था। अतः अब एक कुल (Tribe) के लोग कई नए कुलों में बंट गए जो एटिका के चारों तरफ फैले हुए थे।