देशबंधु चितरंजन दास

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जीवन परिचय –

देशबंधु के नाम से प्रसिद्ध चितरंजन दास का जन्म 5 नवम्बर 1870 में बिक्रमपुर के तेलिरबाग नामक गाँव में हुआ था | यह भारत की एक प्रसिद्ध बैद्य “दास” परिवार से सम्बन्ध रखते थे | यह एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, सफल राजनीतिज्ञ, वकील एवं ब्रिटिश कालीन भारत के बंगाल में स्वराज पार्टी के संस्थापक थे | इनको इनके संक्षिप्त नाम सीआर दास के नाम से भी जाना जाता है |

परिवार –

इनका परिवार ब्रह्म समाज का एक सदस्य था | दास जी भी ब्रह्म समाज के महान कार्यकर्त्ता थे | इन्होने बाल विवाह, विधवा विवाह एवं सती प्रथा पर विशेष रूप से कार्य किया है| इनके पिता का नाम भुवन मोहन दास था | इनके पिता पेशे से एक पत्रकार थे | इनके पिता ने तात्कालिक भारत में कई प्रसिद्ध पत्रिकाओं और समाचार पत्रों (अंग्रेजी चर्चा साप्ताहिक, द ब्राह्मो पब्लिक ओपिनियन ) का संपादन भी किया है | इनकी माता का नाम निस्तारिणी देवी था और इनके चाचा दुर्गा मोहन दास भी ब्रह्म समाज के एक महान कार्य कर्ता थे |

शिक्षा –

इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में ही प्राप्त की और इसके बाद में दास बाबू ने प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया | यहाँ पर अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वह अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए | वहां पर उन्होंने सन् 1892 में कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की |

अपनी स्नातक की पढाई पूरी करने के बाद दास बाबू भारत लौट आये और उन्होंने कोलकाता में कानून का अभ्यास कारना शुरू कर दिया |

कानूनी-जीवन –

इंग्लैंड से वापस आने के बाद में उन्होंने अपनी वकालत का अभ्यास शुरू कर दिया | शुरुआत में यह अपने कानूनी करियर में असफल रहे लेकिन बाद में उनकी वकालत बहुत ही अच्छे ढंग से चली | इनको अपनी वकालत की प्रथम सफलता ‘वंदेमातरम्’ के संस्थापक अरविन्द घोष पर लगे झूठे राजद्रोह के मुकदमें में मिली | अपनी इस सफलता से उन्होंने कोलकाता हाईकोर्ट में अपनी धाक जमा ली |

यह अपने मुकदमे की की पैरवी के लिए किसी भी प्रकार की फीस नहीं लेते थे और लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करते थे | जिससे यह जल्द ही सम्पूर्ण भारत में “राष्ट्रीय वकील” के नाम से प्रसिद्ध हो गए |

राजनीतिक-जीवन –

सन 1906 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में बाग़ लिया और यहीं से इनके राजनीतिक जीवन का प्रारंभ होता है | इसके बाद इन्होने 1919-1992 के असहयोग आन्दोलन में भाग लिया जिसके यह भी एक प्रमुख व्यक्ति थे | इस आन्दोलन में भाग लेने के बाद से ही इन्होने ब्रिटिश निर्मित कपड़ो पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रताव दिया | इसके बाद उन्होंने अपने सारे अंग्रेजी कपड़ों को जला दिया और स्वदेश निर्मित कपड़ों को पहनना प्रारंभ कर दिया |

इन्होने अपने राजनीतिक जीवन के चलते एक फॉरवर्ड नामक के एक समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारंभ किया जो भारत में बहुत ही प्रसिद्ध हुआ | इसके बाद उन्होंने विभिन्न ब्रिटिश विरोधी आन्दोलनों के समर्थन के रूप में इसका नाम बदलकर लिबर्टी कर दिया |

इसके बाद उन्होंने महात्मा गाँधी के गुट को ‘नो एंट्री काउंसिल’ का प्रस्ताव भेजा | जिसको महात्मा गाँधी के गुट के अस्वीकार कर दिया | अपने प्रस्ताव की अस्वीकृति के कारण उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया | इसके बाद उन्होंने नरसिम्हा चिंतामन और मोतीलाल नेहरु के साथ मिलकर कांग्रेस के विरोध में अपनी स्वयं की पार्टी स्वराज पार्टी की स्थापना की |

मृत्यु –

देशबंधु चितरंजन दास एक बहुत ही महान राजनीतिज्ञ, सकुशल वकील एवं जनता के निस्वार्थ सेवक थे | इस समय तक वह अपने राजनीतिक जीवन के चरम पर थे जिस कारण इन पर कार्य का बोझ बढ़ता ही जा रहा था | इसी कारण इनका स्वस्थ्य भी धीरे-धीरे बिगड़ने लगा |

इसके बाद वह अपने स्वास्थ्य के इलाज के लिए दार्जिलिंग गए परन्तु वहां उन्हें कोई विशेष फायदा नहीं हुआ और वहीँ पर 16 जून 1925 को तेज बुखार के कारण उनकी मृत्यु हो गयी |

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