भीमराव आंबेडकर परिचय
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर साहब एक भारत के महान व्यक्तियों में से एक थे | ये भारतीय न्यायविद, अर्थशात्री, समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे | इन्होने भारतीय संविधान बनाने वाली समिति का नेतृत्व किया | ये आजाद भारत के पहले कैबिनेट में कानून और न्याय मंत्री के रूप में कार्यरत रहे | आंबेडकर साहब ने जब पंडित जवाहरलाल नेहरु और हिन्दू धर्म त्याग दिया तब उन्होंने दलितों की स्थिति में सुधार लाने के लिए दलित बौद्ध आन्दोलन शुरू किया |
आंबेडकर साहब ने बॉम्बे के अम्बेडकर ने एल्फिंस्टन कॉलेज नामक विश्वविद्यालय से स्नातक किया | कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया, क्रमशः 1927 और 1923 में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर ली | उन्होंने लन्दन के ग्रेज इन में कानून का प्रशिक्षण भी लिया |
अपने शुरुआती करियर में, वह एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील थे। उसके बाद के जीवन में उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में प्रवेश लिया | वह भारतीय स्वतंत्रता अभियान में सामिल हो गए | इन्होने अपने जीवन काल में कई पत्रिकाओं का प्रकाशन किया और दलितों के लिए राजनीतिक और सामाजिक स्वतंत्रता दिलाने का निर्वाहन करने लगे | 1956 में, उन्होंने दलितों के बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की शुरुआत करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया।
आंबेडकर साहब के मरणोपरांत इन्हेंपू सन 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न द्वारा सम्मानित किया गया |
जन्म | 14 अप्रैल 1891, महू, मध्य प्रदेश, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु | 6 दिसम्बर 1956, नयी दिल्ली, भारत |
समाधि स्थल | चैत्य भूमि, मुंबई,भारत |
जन्म का नाम | भिवा, भीम, भीमराव |
अन्य नाम | बाबा साहब आंबेडकर |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन, स्वतंत्र लेबर पार्टी, भारतीय रिपब्लिकन पार्टी |
अन्य राजनीतिक संगठन | बहिष्कृत हितकारिणी सभा, समता सैनिक दल |
शैक्षिक संघठन | डिप्रेस्ड क्लासेस एज्युकेशन सोसायटी, द बाँबे शेड्युल्ड कास्ट्स इम्प्रुव्हमेंट ट्रस्ट, पिपल्स एज्युकेशन सोसायटी |
धार्मिक संघठन | भारतीय बौद्ध महासभा |
जीवन साथी | रमा बाई आंबेडकर( प्रथम पत्नी 1906 विवाह-1935 निधन ), सविता भीमराव आम्बेडकर( दूसरी पत्नी 1948 विवाह-2003 ) |
शैक्षिक योग्यता एवं सम्बद्धता | बी०ए०(मुंबई विश्वविद्यालय), एम०ए०, पी०एच०डी० (कोलंबिया विश्वविद्यालय), बैरिस्टर-एट-लॉ (ग्रेज इन) |
व्यवसाय पेशा | वकील, प्रोफेसर व राजनीतिज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री,राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद,दार्शनिक, लेखक,पत्रकार, समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्, धर्मशास्त्री, इतिहासविद् प्रोफेसर, सम्पादक |
धर्म | बौद्ध धर्म |
पुरस्कार/सम्मान | बोधिसत्व(1956), भारत रत्न(1990), द ग्रेटेस्ट इंडियन(2012) |
भीमराव आंबेडकर का प्रारंभिक जीवन
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर साहब का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू (अंबेडकर नगर) के एक कस्बे में हुआ था | इनके पिता एक सेना अधिकारी थे, जो सूबेदार के पड़ पर कार्यरत थे | इनका जन्म दलित वर्ग की महार नामक जाति में हुआ था जो अछूत और सामाजिक-आर्थिक भेदभावों के आधीन थी |
इनके परिवार के सदस्यों ने काफी लम्बे समय से ब्रिटिश सरकार के अधीन कार्य किया और इनके पिता भी महू छावनी में ब्रिटिश सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे |
इनके पिता ने 7 नवम्बर 1900 को सातारा के गवर्नमेंट हाई स्कूल विद्यालय में दाखिला कराय | इनके बचपन का नाम भिवा था परन्तु इनके पिता ने आंबडवेकर के नाम से दाखिला कराया जो की उनके गाँव से सम्बंधित था | ऐसा इसलिए था क्योंकि कोकण प्रांत के लोग अपना उपनाम गाँव के नाम से रखते थे| अतः आम्बेडकर के आंबडवे गाँव से होने के कारण आंबडवेकर उपनाम स्कूल में दर्ज करवाया गया। बाद में एक कृष्णा केशव आम्बेडकर नामक ब्राह्मण शिक्षक द्वारा इनका उपनाम ‘आंबडवेकर’ से हटाकर अपना सरल ‘आम्बेडकर’ उपनाम जोड़ दिया। तब से आज तक वे आम्बेडकर नाम से जाने जाते हैं।
इनकी शिक्षा के दौरान इनको अन्य अछूत सहपाठियों से अलग कर दिया जाता था | विद्यालय के शिक्षक इन पर कोई ध्यान नहीं देते थे और न ही किसी भी प्रकार की मदद करते थे | इनको क्लास के अन्दर बैठने की इजाजद नहीं थी | ये अपनी क्लास के बाहर बोरे पर बैठते थे | जिसे भी इन्हें अपने घर से ले जाना पड़ता था | उन्हें स्वयं से पानी पीने की भी इजाजद नहीं थी | जब उन्हें प्यास लगती तो किसी उच्च जाति के व्यक्ति को उस पानी की ऊंचाई से डालना पड़ता था | जिसका यह कारण था कि वह एक नीची जाति के थे |
जब वे पांचवी की अंग्रेजी क्लास में पढ़ रहे थे तभी उनका विवाह 9 वर्षीय रमाबाई से करा दिया गया | भारत में उन दिनों बल-विवाह का प्रचलन था |
भीमराव आंबेडकर की शिक्षा
प्राथमिक शिक्षा
आंबेडकर साहब ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सातारा नगर में स्थित शासकीय हाई स्कूल से पूरी की | इन्होने इस विद्यालय में 7 नवम्बर 1900 में अंग्रेजी की पहली कक्षा में प्रवेश लिया | इसीलिए महाराष्ट्र में 7 नवम्बर को विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया जाता है |
जब वे अंग्रेजी की चौथी कक्षा पास की ,तब क्योंकि यह अछूतों में असमान्य बात थी | इसी लिए इनकी सफलता के लिए अछूतों के बीच में एक सार्वजानिक समारोह मनाया गया | इस समारोह में उनके परिवार के मित्र एवम् लेखक दादा केलुस्कर द्वारा लिखी गई बुद्ध की जीवनी उन्हें भेंट कर दी गयी | इसको पढने के बाद उन्हें गौतम बुद्ध व बौद्ध धर्म को जाना एवं उनकी शिक्षा से प्रभावित हुए |
1897 में इनका परिवार मुंबई चला गया | इन्होने अपनी माध्यमिक शिक्षा वहीं के शासकीय हाईस्कूल से प्राप्त की |
बॉम्बे विश्वविद्यालय में अध्ययन
1907 में अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास की | इसके बाद में उन्होंने बाम्बे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एल्फिंस्टोन नामक कॉलेज में प्रवेश लिया | इस स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने अछूत जाति से वे पहले व्यक्ति थे | 1912 में उन्होंने बाम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में बी० ए० की डिग्री प्राप्त की और बडौदा सरकार के साथ कार्य करने लगे |
कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर अध्ययन
1913 में मात्र 22 वर्ष की आयु में वे अमेरिका चले गए | वहाँ उन्हें सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय द्वारा स्थापित एक योजना के अंतर्गत न्यूयॉर्क नगर स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर शिक्षा प्रदान करने के लिए बडौदा सरकार ने तीन वर्ष केलिए 11.50 डॉलर की प्रतिमाह छात्रवृत्ति प्रदान की | वहां पहुचने के बाद उनकी मुलाकात उनके एक पारसी मित्र नवल भातेना से हुई और वहां वे उन्ही के साथ लिविंगस्टन हॉल में ठहर गए | जून 1915 में अपनी एम० ए० की परीक्षा पास की जिसमें क्रमशःअर्थशास्त्र (प्रमुख विषय), समाजशास्त्र , इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान सामिल थे | वहां उन्होंने स्नातकोत्तर के लिए प्राचीन भारतीय वाणिज्य ( Ancient Indian Commerce ) विषय पर अपना शोध कार्य जारी किया |
1916 में उन्होंने अपनी द्वितीय स्नातकोत्तर के लिए अपना दूसरा शोध कार्य, भारत का राष्ट्रीय लाभांश – एक ऐतिहासिक और विश्लेषणात्मक अध्ययन ( National Dividend of India – A Historical and Analytical Study ) विषय पर किया | आंबेडकर अपनी दूसरी स्नातकोत्तर प्राप्त करने के बाद में वे लन्दन चले गए | वहाँ उन्होंने अपना दूसरा शोध कार्य ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास (Evolution of Provincial Finance in British India) के विषय पर किया और अर्थशास्त्र में पीएचडी प्राप्त की | अपने शोध को प्रकाशित करने के बाद में 1927 में इनको अधिकृत रूप से पीएचडी प्रदान की गई | लन्दन में उन्होंने ने मानव विज्ञानी अलेक्जेंडर गोल्डनवेइज़र द्वारा आयोजित सेमिनार में भाग लिया | इस सेमिनार में उन्होंने भारत में जातियाँ: उनकी प्रणाली ,उत्पत्ति और विकास नामक एक शोध पत्र प्रस्तुत किया, जो उनका पहला प्रकाशित पत्र था |
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अध्ययन
अक्टूबर 1916 में, उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स के लिए दाखिला लिया , और उसी समय लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी दाखिला लिया | जहाँ उन्होंने डॉक्टरेट थीसिस पर काम करना शुरू किया । जून 1917 में वे भारत लौट आए क्योंकि बड़ौदा से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी। उनका पुस्तक संग्रह उस जहाज से अलग जहाज पर भेजा गया था जिस पर वह था, और वह जहाज एक जर्मन पनडुब्बी द्वारा टारपीडो द्वारा समुद्र में डुबो दिया गया था | उन्हें चार साल के भीतर अपनी थीसिस जमा करने के लिए लंदन लौटने की अनुमति मिल गई। वह पहले अवसर पर लौटे, और 1921 में मास्टर डिग्री पूरी की। उनकी थीसिस “रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान” पर थी। 1923 में उन्होंने डी.एससी. अर्थशास्त्र में से सम्मानित किया गयालंदन विश्वविद्यालय , और उसी वर्ष उन्हें ग्रेज़ इन द्वारा बैरिस्टर में बुलाया गया। |
छुआ-छूत का विरोध
आंबेडकर बचपन से ही छुआ-छूत से संघर्ष कर रहे थे और उन्होंने इसे गुलामी से भी ख़राब बताया|आंबेडकर की शिक्षा के लिए बड़ौदा की रियासती सरकार द्वारा इनकी बहुत ही मदद की गयी थी|अतः ये उनकी सेवा करने के लिए बाध्य थे|इनको महाराजा का सैन्यसचिव नियुक्त कर दिया गया|इस पद उन्होंने कुछ समय तक सेवा की परन्तु अपने नीची जाति एवं जातिगत भेदभाव के कारण इनको यह नौकरी जल्द ही छोडनी पड़ी|
इसके बाद में उन्होंने ने अपने परिवार को चलाने के लिए एक लेखाकार, निजी शिक्षक के रूप में कार्य किया परन्तु इनमें वे असफल रहे|इसके बाद वे मुंबई के सिडेनहम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में राजनीतिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के पद पर कार्य किया|
इसके बाद में उन्होंने ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में विधि का अभ्यास प्रारंभ किया|जिसमें उन्होंने अछूतों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उनकी स्थिति में सुधार करने का प्रयास किया|जिसके लिए उन्होंने बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की|इस सभा का मुख्य उद्देश्य अछूतों को शिक्षा और सामाजिक कल्याण करना था|उन्होंने दलितों के अधिकारों की रक्षा के लिए और जनतामैं में जागरूकता फ़ैलाने के लिए मूकनायक, बहिष्कृत भारत, समता, प्रबुद्ध और जनता जैसी पांच पत्रिकाएँ प्रकाशित की|
सन 1927 तक, डॉ॰ आम्बेडकर ने छुआछूत के विरुद्ध एक व्यापक एवं सक्रिय आंदोलन आरम्भ करने का निर्णय किया। जिसमें उन्होंने समाज के दलित वर्गों के लिए उनके मानवाधिकारों को दिलाने के लिए संघर्ष किया|
भीमराव आंबेडकर का राजनीति में प्रवेश
1926 में आम्बेडकर जी ने राजनीति में प्रवेश लिया और इसके बाद में उन्होंने 1956 तक कई राजनीतिक पदों पर कार्य किया|दिसंबर 1926 में, बॉम्बे के गवर्नर द्वारा उन्हें बॉम्बे विधान परिषद के सदस्य के रूप नियुक्त किया गया|जिसका उन्होंने बहुत ही अच्छे ढंग से निर्वहन किया और इसके बाद में वे बॉम्बे लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य नियुक्त किये गए|
अपने राजनीतिक जीवन काल में उन्होंने कई महान कार्य किये|उन्होंने इस दौरान दल्लितों की स्थिति में सुधार लेन के लिए कई प्रयास किये|
सन 1936 में आंबेडकर जी ने अपनी स्वयं की स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की| इस पार्टी ने 1937 के केन्द्रीय विधान सभा के चुनाव में 13 सीटों से जीती|इसके बाद आंबेडकर जी को बॉम्बे विधान सभा के विधायक के रूप में चुना गया|1942 तक वह बॉम्बे विधान सभा के सदस्य रहे और इस दौरान उन्होंने बॉम्बे विधान सभा के विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य किया |
संविधान के निर्माण में भीमराव आंबेडकर की भूमिका
15 अगस्त 1947 को भारत देश आजाद हुआ और इसके बाद कांग्रेस ने भारत की बागडोर संभाली|भारतीय कांग्रेस ने आंबेडकर को स्वतंत्र भारत ने प्रथम कानूनऔर न्याय मंत्री के रूप में नियुक्त किया|29 अगस्त 1947 को भारत के संविधान के लिए मसौदा नामक समित की रचना की जिसमें आंबेडकर को समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया|
डॉ भीमराव अंबेडकर का निधन
डॉ भीमराव अंबेडकर सन 1948 से मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित थे और वह 1954 तक बहुत बीमार रहे थे। 3 दिसंबर 1956 को डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और धम्म उनके को पूरा किया और 6 दिसंबर 1956 को अपने घर दिल्ली में अपनी अंतिम सांस ली थी। बाबा साहेब का अंतिम संस्कार चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध शैली में किया गया। इस दिन से अंबेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है।
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