प्रागैतिहासिक युग का इतिहास-
प्रागैतिहासिक युग का इतिहास भारत के इतिहास का वह युग है जिस युग एवं उसकी मानव सभ्यता के बारे में कोई भी लिखित दस्तावेज नहीं मिलता है | क्योंकि इस काल के विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं है |इसलिए प्राचीन इतिहास के इस काल को प्रागैतिहासिक काल की संज्ञा दी गयी है | यह समय सीमा लगभग 2.5 मिलियन वर्ष पूर्व से 1200 ईसा पूर्व तक है |
इस युग के लोग प्रायः शिकार के लिए पत्थर के औजारों का प्रयोग करते थे और रहने के लिए गुफाओं का प्रयोग करते थे | क्योंकि इस काल के विषय में कोई भी लिखित साक्ष्य ज्ञात नहीं है इस लिए इतिहासकारों और पुरातत्वविदों को उनकी जीवन शैली और व्यवहार के विषय विषय की व्याख्या कर पाना बहुत ही कठिन है | परन्तु बाद में इस युग के साक्ष्य बाद में पुरातत्व एवं उत्खनन से प्राप्त हुए है | जिनके आधार पर इस युग की व्याख्या की गई है |
प्राचीन इतिहास को निन्मलिखित तीन भागों में बाँटा गया है –
- पाषण युग
- कांस्य युग
- लौह युग
पाषण युग-
पाषण काल, इतिहास के उस युग को प्रदर्शित कर्ता है, जब मानवों ने पत्थरों का उपयोग कारना सीख चुके थे | वह इन औजारों का उपयोग अपनी सुरक्षा, भोजन के लिए शिकार इत्यादि में प्रयोग करते थे | इस युग को पुनः चार भागों में बाँटा गया है –
- पुरा पाषण युग( 500000 ईसा पूर्व से 10000 ईसा पूर्व तक)
- मध्य पाषण युग (10000 ईसा पूर्व से 6000 ईसा पूर्व तक)
- नव पाषण युग ( 6000 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व तक)
- ताम्र पाषण युग ( 1000 ईसा पूर्व से 700 ईसा पूर्व तक )
पुरा पाषण युग-
प्राचीन इतिहास की शुरुआत इसी काल से प्रारंभ होती है | इतिहासकारों ने इस युग को हिमयुग की भी संज्ञा दी है क्योंकि इस युग तक पृथ्वी पूर्ण रूप से बर्फ से ढकी हुई थी | एक ओर जहाँ ठण्ड के कारण पेड़-पौधे और मनुष्य पृथ्वी पर पनप नहीं पा रहे वहीँ दूसरी ओर पृथ्वी के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में हल्के गर्म वातावरण और बर्फ पिघलने से मानव जीवन और पेड़-पौधे पनपने लगे |
पुरा पाषण युग की प्रमुख विशेषताएँ –
- इस युग में लोग प्रायः नदी और घाटियों के किनारे गुफाओं में निवास करते थे |
- इस युग के मानव खाना बनाना नहीं जानते थे | वे पूर्णतयः शिकार पर ही निर्भर थे |
- इस युग के मनुष्य कृषि एवं मिट्टी के बर्तनों से अज्ञात थे |
- इस युग के मानव अपने भोजन के लिए फलों, सब्जियों और शिकार पर ही निर्भर थे |
- इस युग का मानव हथियरों को बनाना एवं उसका उपयोग कारण सीख चुके थे | उनके यह हथियार पत्थरों के बने होते थे |
पुरा पाषण युग में मनुष्यों द्वारा प्रयोग किये गए हथियारों और जलवायु की परिस्थितियों के आधार पर पुनः तीन भागों में विभाजित किया गया है –
- पूर्व पुरापाषण काल
- मध्य पुरापाषण काल
- उत्तर पुरापाषण काल
मध्य पाषण युग (मेसोलिथिक युग)-
इस युग के आते-आते पृथ्वी की जलवायु गर्म हो गयी थी, जिसके कारण एक बड़ी मात्रा में बर्फ पिघल गई | परिणामतः यह युग पेड़-पौधों एवं मानव जीवन के तीव्र रूप से विकास के लिए एक वरदान की तरह साबित हुआ | इस युग का मानव पशुपालन कारण सीख चूका था और उसके औजारों का आकर छोटा हो गया था |
मध्य पाषण काल की प्रमुख विशेषताएँ –
- प्रारंभ में इस युग का मानव शिकार और फल-सब्जियों का संग्रह करके भोजन को उपलब्ध कारना था | परन्तु समय के साथ-साथ इस युग के मानव ने पशुपालन भी सीख लिया था | जिसने बाद में कृषि के लिए नीव का कार्य किया |
- इस युग का मानव प्रमुखतः कुत्तों, बकरियों को पलने लगा |
- इस युग का मानव जानवरों की खाल से बने कपड़ों का प्रयोग कारना शुरू कर दिया |
- इस युग के मानव से चकमक पत्थर से बने छोटे हथियारों का प्रयोग कारना शुरू कर दिया जिन्हें माइक्रोलिथ्स कहते है | वे इन हथियारों का प्रयोग छोटे जानवरों और पक्षियों के शिकार के लिए करते थे |
- मध्य पाषण युग के लोग कला प्रेमी थे और पत्थर पर जंगली जानवरों, शिकार के दृश्यों, नृत्यों और भोजन संग्रह को चित्रित करने वाले चित्रों को बनाते थे |
नव पाषण युग –
इस युग के मानव ने कृषि कारना प्रारंभ कर दिया था और इस काल में मानव ने अपने सामाजिक और आर्थिक जीवन में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए |
नव पाषण युग की प्रमुख विशेषताएँ –
- इस युग में मानव ने आग की खोज कर ली थी और वह भोजन को पका कर खाने लगा था |
- इसी युग में मानव ने खेती कारना भी प्रारंभ किया | प्रारंभ में उन्होंने गेहूं, रागी, और कुल्थी जैसी फसलों की खेती कारना प्रारंभ किया |
- इस युग के मानवों ने रहने के लिए मिट्टी और ईख से निर्मित घरों का निर्माण किया |
- चूँकि इस युग के मानवों ने कृषि कारना तो प्रारंभ कर दिया था परन्तु उनके संग्रह करने के लिए कुछ कहिये था | इस लिए उन्होंने इसके संग्रह के लिए मिट्टी के बर्तनों का निर्माण किया |
- इस युग के मानव पालिशदार हाथियारों का प्रयोग करते थे | उनके यह हथियार अन्य युगों के हथियारों से उन्नत किस्म के थे |
- इस युग के मानव नाव और कपडा बुनना भी जानते थे |
- इस युग के लोग पहाड़ी नदी घाटियों और पहाड़ी ढलानों पर रहते थे |
ताम्र पाषण युग –
- ताम्र पाषण काल में मानवों ने पत्थरों के हथियारों के साथ ही धातु के हथियार भी प्रयोग करने लगे थे |
- इस युग में कृषि प्रमुख रूप से विकसित थी | इस युग के लोग हरे चने, घास मटर, मसूर और काले चने आदि जैसी कई फसलों की खेती करते थे |
- इस युग में मानव गाय, भेड़, बकरी,सूअर, भैस और हिरन आदि जानवरों का शिकार करते थे |
- इस युग में गेरुआ मिट्टी के बर्तनों के साथ ही काले और लाल मिट्टी के बर्तन भी लोकप्रिय थे |
- इस युग में शिशु मृत्यु की दर बहुत ही अधिक थी |
- इस युग के लोग मिट्टी की ईंटों और घास-फूस से बने घरों में रहते थे | जबकि गाँव का मुखिया एक बड़े आयताकार घर में रहता था जो सामाजिक असमानताओं का प्रतीक था |
कांस्य युग –
- पाषण युग के समाप्त होने के बाद कांस्य युग ने जन्म लिया | इस युग की समय सीमा लगभग 3300 ईसा पूर्व से लेकर 1200 ईसा पूर्व तक है |
- इस युग में लोगों ने कांसे के हथियारों और औजारों का निर्माण शुरू कर दिया |
- इस अवधि के दौरान राजा और राज्यों का जन्म हुआ और लोग एक दूसरे के साथ व्यापार करने लगे |
- इस युग में पहिये और बैलों द्वारा खींचे जाने वाले हेलॉन का अविष्कार किया गया |
- इस काल में अद्य-लेखन भी प्रारंभ हुआ |
- इस युग में सामाजिक स्तरीकारण और गुलामी निखर कर सामने आई|
लौह युग –
- लौह युग की समय सीमा लगभग 1200 ईसा पूर्व से लेकर 600 ईसा पूर्व के बीच की है |
- इस युग में यूरोप, एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में लोहे के हथियारों का निर्माण होने लगा |
- यह युग आर्यों के आगमन का गवाह बना |
- इस युग में कई धर्म जैसे- जैन धर्म और बौद्ध धर्म परिचय में आये |