अशोक के शिलालेख एवं उनके विषय क्या थे?

अशोक के शिला लेख

प्राचीन काल में राजा महाराजा विभिन्न शिलाओं पर अपने लेखों को लिखवाते थे, जिन्हें शिलालेख कहते हैं। अशोक के अभिलेखों में ब्राह्मी तथा खरोष्ठी लिपि प्रयोग की गई है। अशोक के शिलालेखों की लिपि ब्राह्मी एवं खरोष्ठी ही मुख्य रूप से है। इसके अतिरिक्त अशोक के कुछ शिलालेखों में (यूनानी) ग्रीक लिपि का भी प्रयोग मिलता है।

अशोक के निम्नलिखित शिलालेख एवं उनके विषय है –

अशोक के शिलालेखअशोक के शिला लेखों के विषय
पहला शिला लेखपशुबलि निषेध किया गया|
दूसरा शिला लेखमनुष्य एवं पशु चिकित्सा-व्यवस्था तथा विदेशों में धम्म प्रचार का उल्लेख|
तीसरा शिला लेखराज्जुक एवं युक्तकी नियुक्ति तथा राजकीय अधिकारीयों को हर पांच वर्ष पर राज्य भ्रमण करने का आग्रह|
चौथा शिला लेखभेरीघोष की जगह धम्मघोष की घोषणा|
पांचवां शिलालेखधम्म- महामत्रों की नियुक्ति|
छठा शिलालेखप्रशासनिक सुधारों एवं आत्मा-नियंत्रण की शिक्षा का उल्लेख|
सातवाँ शिलालेखअशोक की सभी धार्मिक मतों के प्रति निष्पक्षता|
आठवाँ शिलालेखबोधगया की यात्रा का उल्लेख एवं विहार यात्रा के स्थान पर धम्म यात्रा का प्रतिपादन|
नवां शिलालेखसच्ची भेंट तथा सच्चे शिष्टाचार का उल्लेख|
दसवाँ शिलालेखराजा तथा उच्च अधिकारी हमेशा प्रजा के हित में सोचें|
ग्यरहवां शिलालेखधम्म की व्याख्या|
बारहवां शिलालेखधार्मिक सहिष्णुता पर जोर एवं स्त्री महामात्रों की नियुक्ति|
तेरहवां शिलालेखकलिंग युद्ध का वर्णन एवं अशोक के ह्रदय-परिवर्तन की बात तथा धम्म विजय की घोषणा, विदेशों में धम्म प्रचार (पांच विदेशी राज्यों की चर्चा) का उल्लेख किया गया है|
चौदहवां शिलालेखपहले तेरह शिलालेखों का पुनरावलोकन तथा जनता को धार्मिक जीवन बिताने के लिए प्रेरित किया गया है|
अशोक के शिलालेख एवं उनके विषय